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मैं शरीर नहीं हूं मैं मन भी नहीं हूँ।

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  मैं शरीर नहीं हूं मैं मन भी नहीं हूँ। सबसे पहले तो हमें यह समझ लेना चाहिए कि हम कौन हैं ? मैं शरीर नहीं हूं। आप जितने भी लोग इस लेख को पढ़ रहे हो, आप भी शरीर नहीं हो । अब आप सोच रहे होंगे कि अगर तुम शरीर नहीं हो तो फिर क्या हो, कौन हो। अब मैं आपको साधारण भाषा में समझाता हूं। मैं शरीर नहीं हूं बल्कि यह शरीर मेरा है। आपमें से कितने लोग टूटते हुए बालो की समस्या से परेशान होंगे या फिर बहुत से पूरी तरह से गंजे हो चुके होंगे । आप जब भी बालो कि इस समस्या को लेकर डॉक्टर के पास जाते होंगे तो आप डॉक्टर से क्या कहते हो? यही ना कि डॉक्टर साहब मेरे बाल बहुत तेजी से टूट रहे हैं। ऐसी दवाई दीजिए जिससे कि मेरे बालो का टूटना रुक जाए ( Hair Fall Control ) । इसका सीधा सा मतलब है कि आप बाल नहीं हो बल्कि आपके पास बाल हैं। ऐसे मानो किसी की आंखों में या हाथ-पैर में कोई समस्या या दर्द है तो वह डॉक्टर से कहेगा कि डॉक्टर साहब मेरे हाथ पैर या आंखों में दर्द की समस्या है। मतलब साफ है कि आप हाथ-पैर, आंख भी नहीं हो बल्कि यह तो आपके शरीर के अंग है। लेकिन आप शरीर भी नहीं हो क्योंकि मान लो आपके पूरे शरीर में दर्द हो

श्रीमद् भगवद् गीता अध्याय प्रथम कुरूक्षेत्र के युद्ध स्थल में सैन्य निरीक्षण

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  श्रीमद् भगवद् गीता अध्याय प्रथम ( Shrimad Bhagwat Geeta Chapter I )  कुरूक्षेत्र के युद्ध स्थल में सैन्य निरीक्षण :-  सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर अर्जुन युद्ध से विमुख होकर विपक्षी सेनाओं में अपने निकट संबंधियों, गुरुओ, मित्रों को युद्ध में अपना अपना जीवन दांव पर लगाते हुए देखता है। वह शोक तथा करुणा से भर जाता है और अपनी शक्ति खो देता है। उसका मन मोह से ग्रस्त हो जाता है और वह युद्ध करने के अपने संकल्प को त्याग देता है।